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भाकृअनुप-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान की प्राकृतिक खेती पर होने वाले ऑन लाइन राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में सहभागिता और कृषकों के साथ परिचर्चा

किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने और उन्हें इसके तौर-तरीके सिखाने के लिए गुजरात के आनंद में आयोजित कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के अवसर पर भाकृअनुप-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) एवं किसानो तथा वैज्ञानिकों के बीच परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार शुक्ल ने किसानो का अभिवादन किया और संस्थान में जैविक खेती के क्षेत्र हो रहे शोध कार्यों के विषय में जानकारी दी।

संस्थान की निदेशक डॉ नीलिमा गर्ग ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं संस्थान के पूर्व निदेशक डा राम कृपाल पाठक एवं विशिष्ट अतिथि उ.प्र. गौ सेवा आयोग के समन्वयक श्री राधेश्याम दीक्षित का स्वागत किया। साथ ही डा गर्ग ने प्राकृतिक खेती में सूक्ष्म जीवों के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी तथा किसानो को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने के साथ ही किसानो को संस्थान से हर संभव तकनीकी जानकारी उपलब्ध करने के विषय में आश्वस्त किया।

इस अवसर पर आमंत्रित संसथान के पूर्व निदेशक डॉ. राम कृपाल पाठक ने गौ आधारित प्राकृतिक कृषि के विभिन्न पहलुओं के विषय में चर्चा की तथा भविष्य में इसकी अपार संभावनाओं से अवगत कराया। विशेष आमंत्रित राष्ट्रीय गौ ऱक्षा आयोग के समन्वयक श्री राधे श्याम दीक्षित ने प्राकृतिक खेती में गायों के महत्व एवं वर्त्तमान परिस्थिति में इसकी उपयोगिता के विषय में जानकारी देने के साथ ही किसानो से संवाद कर गऊ आधारित उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था सम्बंधी उनकी शंकाओं का समाधान किया।

इस कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने प्राकृतिक खेती की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। माननीय मोदी जी के सम्भासःअण के पहले गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने प्राकृतिक खेती में प्रयोग किये जाने वाले विभिन्न गौ आधारित उत्पादों यथा जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत को तैयार करने की विधियां सरलतम भाषा में प्रस्तुत की जिससे किसानों को प्रेरणा मिली। माननीय प्रधानमंत्रीजी ने कहा-खेती के अलग अलग आयाम हों, फूड प्रोसेसिंग हो, प्राकृतिक खेती हो ये विषय 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में बहुत मदद करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एक भ्रम भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का इतिहास इसका साक्षी है। उन्होंने देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से ये आग्रह किया कि वे प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े।

माननीय प्रधानमंत्री जी के अभिभाषण के बाद संस्थान के विभिन्न प्रभागों के प्रभागाध्यक्ष डॉ. राम अवध राम, डॉ. देवेंद्र पांडेय एवं डॉ. हरी शंकर सिंह सहित संस्थान के सभी वैज्ञानिकों ने कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा में भाग लिया। कार्यक्रम में संस्थान के अधिकारी कर्मचारी सहित मलिहाबाद, माल क्षेत्र के लगभग 230 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. सुशील कुमार शुक्ल ने ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।